समाज व आमजन की सेवा को सदैव तत्पर, मृदुभाषी, स्वच्छ छवि के कर्मठ समाजसेवी, उद्योगपति एवं भामाशाह, सहृदय, मिलनसार, दानवीर व समाज के होनहार, निःस्वार्थ समाज सेवी
प्रधान श्री रामपाल जांगिड़ जी
प्रारम्भिक जीवन व शिक्षा
एक शख्सीयतआपका जन्म 15 अगस्त 1962 को अलवर जिले के ग्राम सोडावास में श्रीमती भगवानी देवी एवं स्व. श्री गोवर्धन जी जागिड़ के यहाँ हुआ आपके पिताजी के पास मुख्य रूप से कारपेन्ट्री का ही पुश्तैनी काम था, इससे आय के विशेष स्वोत नहीं होने से उनको पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा क्योंकि उन पर ही आप आठ भाई बहिनों के पालन पोषण की जिम्मेदारी थी। इसलिये आप बाल्यकाल से ही मिली ऐसी परिस्थितियों के कारण स्कूली पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सके। इस कारण 1976 में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय शामदा से आठवीं कक्षा उत्तींण कर, युवावस्था में ही कामकाजी जिंदगी के साथ संघर्षशील जीवन की शुरूआत भी हो गई। पढ़ाई करने के दौरान फर्नीचर के काम को पिता से सीख-समझ लिया था, इससे आप हिम्मत करके इस काम को करने लिए दिल्ली चले गये। वहाँ पर आपने 1977 से 88 तक फर्नीचर के काम को किया। इस सफर में बहुत सी कठिनाईयों से गुजरने के बावजूद आपने अपने अनुभव और कठोर परिश्रम के बल पर अपने सपनों को साकार रूप देने के लिए 1989 में बंगलोर में भी रॉयल इन्टीरियर की नींव रख उच्च पैमाने पर एक सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई और भारत देश में बड़े बड़े नामी शोरूम में उतकृष्ट किस्म के इन्टीरियर की आकर्षक कलाओं से कीर्तिमान स्थापित किया आज अपनी मेहनत और हुनर के बलबूते पर वर्तमान में उच्च क्वालिटी के इन्टीरियर कोन्ट्रेक्टरों में गिने जाते हैं। भारत ही नहीं बल्कि दुबई, आस्ट्रेलिया, मलेशिया,नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका आदि देशों में भी फर्नीचर के कार्य व इन्टीरियर डेकोरेशन कार्य में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कररहे हैं। आपके बड़े भाई फुलचन्द जी जांगिड़ जो सोडावास में कृषि एवं सामाजिक व्यवस्था को संभालते हैं एवं बहिने मायादेवी, सरवण देवी, चन्द्रकला देवी, रामकला देवी, मथुरी देवी, प्रेमलता देवी सभी 6 बहिने सुखी एवं समृद्ध परिवार से हैं। आपकी धर्मपत्नि जोकि महेन्द्रगढ़ जिले के ग्राम बुढवाल से श्री मोतीराम जांगिड़ की सुपुत्री है जो एक आदर्श गृहिणी हैं तथा वर्तमान में आप विश्वकर्मा एज्यूकेशन ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्षा पद पर हैं। आपके तीन पुत्र दीपक, अमित, जगमोहन ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर आपके व्यवसाय को संभाल रहे हैं। आपने अपने तीनों पुत्रों का विवाह भी बिना दान दहेज के सादगी से सम्पन्न किया। ।
समाज के लिए सम्पादित कार्य एवं सहयोग
1. श्री विश्वकर्मा मन्दिर, बैंगलोर - 25 लाख रुपयों की सहयोग राशि।
2. श्री विश्वकर्मा मन्दिर, दिल्ली -
1.75 लाख रुपयों का सहयोग एवं 4 लाख रु. विशाल भण्डारे का आयोजन
3. श्री विश्वकर्मा मन्दिर, नारनौल - 1 लाख रुपयों की सहयोग राशि
4. श्री विश्वकर्मा मन्दिर, किशनगढ़
बास - कमरे के निर्माणकार्य में 1.51 लाख रुपयों की सहयोग राशि।
5. श्री विश्वकर्मा मन्दिर, तिजारा - 1.8 लाख रुपयों की सहयोग राशि।
6. श्री विश्वकर्मा मन्दिर, रेवाड़ी -
अंगिरा सभागार के निर्माणकार्य में 1.51 लाख की सहयोग राशि
7. राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सोडावास - 25 लाख रुपयों की सहयोग राशि
8. सोडावास के आस-पास ग्रामीण विद्यालयों में - 15 लाख रुपयों का निर्माणकार्य करवाया।
9. श्री गोरधन पाठशाला, भर्तहरि रोड़,
बहरोड़ में वर्ष 2013 से विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा एवं यूनीफार्म
वितरण
10. चेन्नई में प्रति वर्ष दो विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु सहयोग।
11. राजकीय विद्यालय सिमोगा, कर्नाटक - यूनिफार्म एवं पाठ्यपुस्तकों का निःशुल्क वितरण -15
12. जांगिड़ स्कूल, शेखावटी में - एक कमरे का निर्माणकार्य करवाया
13. जांगिड़ छात्रावास, बानसूर में - 2.51 लाख का निर्माणकार्य करवाया
14. अंगिरा आश्रम, कोटपुतली में - 4.11 लाख रुपयों की सहयोग राशि
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